परंपराएं तोड़कर बदलाव की अंगड़ाई लेता रेडियो
कल्पना कीजिए कि आप रेडियो पर फरमाइशी गीत जैसा कोई कार्यक्रम सुन रहे हैं और अपने फिल्म नदिया के पार का कौन दिशा में ले के चला रे गीत सुनाने का अनुरोध किया है। जैसे ही गीत शुरू होता है आपके मोबाइल या रेडियो सेट पर इस गाने के दृश्य भी दिखाई देने लगें। इसी तरह, आप रेडियो पर समाचार सुन रहे हैं और एकाएक न्यूज रीडर की जानी पहचानी आवाज़ के साथ उसका चेहरा भी दिखने लगे…आश्चर्य हो रहा है न!! तो इस अचंभे के लिए तैयार रहिए क्योंकि जल्दी ही नए जमाने का यह रेडियो आपके जीवन का हिस्सा बनने वाला है। इसे फिलहाल विजुअल रेडियो नाम दिया गया है। विजुअल रेडियो वास्तव में रेडियो प्रसारण का भविष्य है, जो ऑडियो और विजुअल अनुभव को एक साथ लाता है।
विजुअल रेडियो में एक आधुनिक प्रसारण तकनीक है जो पारंपरिक रेडियो की ऑडियो सामग्री को दृश्य तत्वों (विजुअल्स) के साथ जोड़ती है। इसमें रेडियो प्रसारण के साथ-साथ चित्र, वीडियो, ग्राफिक्स, टेक्स्ट, और अन्य मल्टीमीडिया सामग्री को एकीकृत किया जाता है, जिसे श्रोता रेडियो सेट, मोबाइल ऐप, या इंटरनेट के माध्यम से सुनने के साथ साथ रेडियो प्रसारण को देख भी सकते हैं। इसको हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम मन की बात से भी समझ सकते हैं। मन की बात मूलतः रेडियो पर प्रसारित एक ऑडियो कार्यक्रम है लेकिन रेडियो प्लस यानि रेडियो सेट से इतर जब इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रस्तुत किया जाता है तो उसमें दृश्य भी जोड़ दिए जाते हैं ।
विजुअल रेडियो तकनीक मौजूदा डिजिटल युग में रेडियो को और अधिक इंटरैक्टिव और आकर्षक बना रही है। विजुअल रेडियो में रेडियो जॉकी (RJ) या स्टूडियो गतिविधियों का लाइव प्रसारण किया जा सकता है। इंटरैक्टिव सामग्री के माध्यम से श्रोताओं के लिए पोल, क्विज, या कमेंट सेक्शन बनाए जा सकते हैं । रेडियो प्रसारण को सीधे फेसबुक, यूट्यूब, या अन्य प्लेटफॉर्म पर साझा किया जा सकता है । यह तकनीक रेडियो को पारंपरिक ऑडियो माध्यम से डिजिटल मल्टीमीडिया प्लेटफॉर्म में बदल रही है जिससे रेडियो युवा पीढ़ी और डिजिटल उपभोक्ताओं के लिए अधिक प्रासंगिक हो रहा है।
हालांकि, भारत में विजुअल रेडियो का विकास अभी प्रारंभिक चरण में है लेकिन आकाशवाणी ने डिजिटल युग में प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए विजुअल रेडियो की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रसार भारती ने न्यूज़ ऑन एयर मोबाइल ऐप और वेबसाइट लॉन्च की है, जिसके माध्यम से आकाशवाणी के रेडियो कार्यक्रमों को लाइव स्ट्रीम किया जाता है। आकाशवाणी के कुछ प्रमुख केंद्र, जैसे दिल्ली और मुंबई, अपने चुनिंदा कार्यक्रमों को यूट्यूब और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीम करते हैं, जिसमें रेडियो जॉकी और स्टूडियो गतिविधियों के वीडियो शामिल होते हैं। आकाशवाणी की लोकप्रिय सेवा विविध भारती के कुछ कार्यक्रम, जैसे हवा महल या जयमाला, को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ऑडियो के साथ-साथ विजुअल सामग्री जैसे गाने के वीडियो या पुरानी तस्वीरें के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा रहा है। विविध भारती ने अपने यूट्यूब चैनल पर पुराने रेडियो कार्यक्रमों की रिकॉर्डिंग को विजुअल तत्वों जैसे गाने के दृश्य या कलाकारों की तस्वीरें के साथ अपलोड किया है, जो विजुअल रेडियो का एक प्रारंभिक रूप है।
आकाशवाणी के एफएम रेनबो चैनल के स्टेशन कई बार अपने लाइव शो को सोशल मीडिया पर वीडियो स्ट्रीम करते हैं, जिसमें रेडियो जॉकी की बातचीत, स्टूडियो का माहौल, और श्रोताओं के साथ इंटरैक्शन शामिल होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि प्रसार भारती ने हाल के वर्षों में डिजिटल परिवर्तन पर जोर दिया है। इसके तहत आकाशवाणी के स्टेशनों को अपग्रेड किया जा रहा है। प्रसार भारती की वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी आकाशवाणी के कार्यक्रमों को विजुअल सामग्री के साथ प्रचारित करने की शुरुआत की जा चुकी है।
निजी क्षेत्र की बात करें तो रेडियो मिर्ची,रेड एफएम और रेडियो सिटी जैसे चैनल अपने लोकप्रिय शो को यूट्यूब, फेसबुक, और इंस्टाग्राम पर लाइव स्ट्रीम कर रहे हैं, जिसमें रेडियो जॉकी के वीडियो, मेहमानों के साक्षात्कार, और स्टूडियो की गतिविधियां शामिल होती हैं। इसके अलावा,हंगामा जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने भी विजुअल रेडियो को बढ़ावा दिया है। उनके रेडियो चैनल गानों के साथ वीडियो, गाने के बोल, और कलाकारों की जानकारी प्रदान करते हैं।
विजुअल रेडियो की औपचारिक शुरुआत 2005 में मानी जाती है जब नोकिया ने इसे एक ट्रेडमार्क उत्पाद के रूप में पेश किया। नोकिया का विजुअल रेडियो कॉन्सेप्ट पारंपरिक FM रेडियो के साथ डेटा कनेक्शन के माध्यम से ग्राफिक्स, टेक्स्ट, और इंटरैक्टिव सामग्री को जोड़ता था। यह तकनीक सबसे पहले फिनलैंड में किस FM में लागू की गई थी। इसके बाद ब्रिटेन, सिंगापुर, भारत,फिलीपींस और स्पेन जैसे कई देशों में विभिन्न रेडियो स्टेशनों ने इसे अपनाया। हालांकि, विजुअल रेडियो का विचार इससे पहले भी विभिन्न रूपों में मौजूद था। उदाहरण के लिए, डिजिटल ऑडियो ब्रॉडकास्टिंग (DAB) के तहत 1990 के दशक के अंत में कुछ देशों में रेडियो प्रसारण के साथ स्लाइड शो या टेक्स्ट जैसी विजुअल सामग्री को शामिल करने के प्रयोग शुरू हो चुके थे।
विजुअल रेडियो ने पिछले दो दशकों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो डिजिटल तकनीक, इंटरनेट और सोशल मीडिया के विकास के साथ-साथ तेजी से बढ़ी है। 2010 के दशक में फेसबुक, यूट्यूब, और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म के उदय के साथ विजुअल रेडियो के विस्तार को पंख लग गए । 2010 के बाद, DIGISPOT जैसे सॉफ्टवेयर प्रदाताओं ने विजुअल रेडियो को स्वचालित करने के लिए समाधान पेश किए। इनमें स्टूडियो में कैमरे, ऑटोमेटेड विजुअल्स जैसे मौसम अपडेट, गाने की जानकारी और स्ट्रीमिंग फीड शामिल हैं। जबकि VisualRadioAssist जैसे प्लेटफॉर्म ने छोटे रेडियो स्टेशनों के लिए सस्ते और उपयोगी समाधान पेश किए, जिससे विजुअल रेडियो को वैश्विक स्तर पर सुलभ बनाया गया।
अब सवाल यह उठता है कि जब हमारे पास टीवी और मोबाइल के रूप में पहले ही विजुअल्स के बेहतरीन विकल्प मौजूद हैं तो रेडियो में विजुअल जोड़ने की क्या जरूरत आन पड़ी। इसी सवाल के जवाब भी शामिल है। सीधी सी बात है कि आप रेडियो सुनने के लिए और टीवी देखने के लिए इस्तेमाल करते हैं और इन माध्यमों के ताजी गुण इन्हें एक दूसरे से अलग भी करते हैं। सामान्य समझ के हिसाब से विजुअल रेडियो और टीवी प्रसारण दोनों ही दृश्य और श्रव्य सामग्री का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन उनके उद्देश्य, प्रारूप, तकनीक, और दर्शक अनुभव में महत्वपूर्ण अंतर हैं।
विजुअल रेडियो का मूल आधार रेडियो प्रसारण है, जिसमें ऑडियो सामग्री जैसे संगीत, टॉक शो, समाचार प्राथमिक हैं । दृश्य तत्व जैसे वीडियो, ग्राफिक्स, टेक्स्ट केवल ऑडियो को पूरक और आकर्षक बनाने के लिए जोड़े जा रहे हैं। इसका उद्देश्य पारंपरिक रेडियो को डिजिटल युग में प्रासंगिक बनाना और श्रोताओं को इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करना है।
वहीं, टीवी प्रसारण का फोकस दृश्य सामग्री पर होता है, जहां वीडियो, कहानी और विजुअल प्रभाव प्राथमिक होते हैं। ऑडियो मसलन संवाद और संगीत दृश्यों को समर्थन देते हैं । इसका उद्देश्य मनोरंजन, सूचना या शिक्षा के लिए पूरी तरह से दृश्य-केंद्रित अनुभव प्रदान करना है।
विजुअल रेडियो मुख्य रूप से इंटरनेट-आधारित प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम या मोबाइल ऐप जैसे न्यूज़ ऑन एयर के माध्यम से प्रसारित होता है। जबकि टीवी प्रसारण मुख्य रूप से टेलीविजन चैनलों के माध्यम से प्रसारित होता है, जो सैटेलाइट, केबल, या डिजिटल टेरेस्ट्रियल टीवी (DTT) का उपयोग करते हैं। अब ओटीटी प्लेटफॉर्म जैसे नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम भी टीवी सामग्री का हिस्सा हैं। इसे देखने के लिए टीवी सेट, सेट-टॉप बॉक्स, या स्ट्रीमिंग डिवाइस की आवश्यकता होती है।
एक बड़ा अंतर उत्पादन लागत का भी है। विजुअल रेडियो में उत्पादन लागत अपेक्षाकृत कम होती है, क्योंकि यह न्यूनतम उपकरण जैसे एक कैमरा, माइक्रोफोन और स्ट्रीमिंग सॉफ्टवेयर के साथ शुरू हो सकता है। छोटे रेडियो स्टेशन भी इसे लागू कर सकते हैं जबकि टीवी प्रसारण में उत्पादन लागत बहुत अधिक होती है, क्योंकि इसमें मल्टी-कैमरा सेटअप, पेशेवर लाइटिंग, साउंड डिज़ाइन, और पोस्ट-प्रोडक्शन की आवश्यकता होती है।
कुल मिलाकर देखें तो यह प्रसारण माध्यमों का नवाचार है जो श्रोताओं और दर्शकों को जोड़े रखने के लिए लगातार किया जा रहा है। अंतिम फैसला तो सुनने वालों के हाथ में ही है कि उन्हें रेडियो सुनना है या देखना भी है। फिलहाल तो विजुअल रेडियो कुछ नया, कुछ हटकर और रेडियो की पारंपरिक सीमाएं तोड़कर सृजन और रचनात्मकता का नया अनुभव नजर आ रहा है।
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