शनिवार, 7 अक्तूबर 2023

फ्लाईपास्ट और आलू की सब्जी-पूरी…

हालांकि, बीच में एक दौर ऐसा भी आया था जब हवाई यात्रा के दौरान भी कभी-कभार पूरी-सब्जी महकने लगी थी। यह वह दौर था, जब केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पूर्वोत्तर राज्यों, कश्मीर और लद्दाख की यात्रा के दौरान हवाई यात्रा के दरवाजे खोल दिए थे। तब, पहली बार परिवार के परिवार इस उड़न खटोले की यात्रा का स्वप्न लेकर अचार-पूरी के साथ हवाई अड्डों पर नजर आने लगे थे। हवाई जहाज़ में सीट पर पालती मारकर आलू की सब्जी और पूरी के साथ चूड़ा/नमकीन खाते परिवारों ने 'इलीट क्लास' या संपन्न वर्ग को नाक-मुंह सिकोड़ने पर मजबूर कर दिया था। हालांकि, अब तो ट्रेन में भी घर की बनी आलू-पूरी का स्थान जोमेटो, स्वीगी और इस तरह के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए सुविधा के साथ मिलने वाले गर्मागर्म चाइनीज और पिज़्ज़ा-बर्गर ने ले लिया है, बिल्कुल वैसे ही, जैसे पानी के लिए घर की खूबसूरत छोटी सी सुराही की जगह ट्रेन में प्लास्टिक की बॉटल काबिज हो गई है।

खैर, विषय पर लौटते हैं और फ्लाईपास्ट में आलू-पूरी की गुत्थी सुलझाते हैं। भारतीय वायुसेना इस साल अपना 91 वा स्थापना दिवस मना रही है और आम लोगों को वायुसेना से जोड़ने के लिए अलग-अलग शहरों में विविध कार्यक्रम किए जा रहे हैं। जनभागीदारी के साथ उत्सव की इस श्रृंखला में भोपाल के हिस्से में वायुसेना का फ्लाईपास्ट आया और 30 सितंबर को हैरत अंगेज प्रदर्शन से पहले ही लड़ाकू विमानों की गर्जना ने भोपालियोँ को नींद से जगा दिया था। सोशल मीडिया में छाई तस्वीरों, इंस्टाग्राम रील,वीडियो और आसमान में गूंजती गड़गड़ाहट ने भोपालियों को पहले ही मुख्य इवेंट के लिए तैयार कर दिया था। इस शहर के लोग तो सौ रुपए टिकट देकर भी घण्टे भर के नाटक के लिए घंटों लाइन में लगने से भी परहेज नहीं करते तो फिर ये तो फ्लाईपास्ट था और वो भी मुफ़्त। ऐसा फ्लाईपास्ट, जो इस शहर में पहली बार हो रहा था…बस,फिर क्या था हो गई तैयारी शुरू और फिर परिवार कुटुंब में बदले और एकल फैमिली कालोनी में। कहने का आशय यह है कि भोपाल के लोगों के लिए यह पिकनिक का दिन था,उत्सव का दिन था,उल्लास का और एकजुट होकर मस्ताने का मौका था। अल सुबह से ही बड़े तालाब के रास्तों पर भीड़ उमड़ने लगी। प्रशासन ने मुख्यमंत्री निवास से बोट क्लब तक 'पास' अनिवार्य किया तो भोपाल के लोगों ने उसका भी रास्ता निकाल लिया । वे पास की अनिवार्यता लागू होने के पहले ही दरी-चटाई और सब्जी-पूरी के साथ आयोजन स्थल पर जम गए। जैसे ही आसमान में विमानों की अठखेलियां शुरू हुई, तो धरती पर चटाई दरी बिछ गई…धीरे-धीरे थैलों से डिब्बे और फिर डिब्बों के अंदर से डिब्बे तथा थर्मस निकलने लगे और अचार से लेकर चाय तक की खुशबू से बोट क्लब और वीआईपी रोड महकने लगी।

तेज़ धूप में डेढ़ घंटे के फ्लाईपास्ट के बाद जब पासधारी तबका भीड़ से किसी तरह निकलने की जद्दोजहद में जुटा था, वीआईपी कारें अपने हूटर के जरिए अपने ख़ास होने के दर्जे के बाद भी हजारों लोगों की भीड़ में छटपटा रही थीं और उनके प्रोटोकाल/सुरक्षा कर्मी ढंग से खुद निकलने का रास्ता भी नहीं बना पा रहे थे तब स्मार्ट भोपाली पूरी तरह से बोट क्लब पर फैल पसर चुके थे और तल्लीनता के साथ आलू की सब्जी पूरी, अचार के साथ चाय की चुस्कियां ले रहे थे। हम जैसे भीड़ में फंसे लोगों के साथ साथ कार में एसी की ठंडक में कैद वीआईपी लोगों को भी भोपालियों के इस मज़े से पक्का जलन हो रही होगी। इन लोगों को न जाम की परवाह थी, न आराम की और न ही घर जाने की। चार घंटे की भरपूर पिकनिक, तसल्ली से पेटपूजा और बच्चों की जीभर के धमा-चौकड़ी के बाद यहां से वापसी शुरू हुई। तब तक जाम भी खुल गया था और रास्ते भी…इसलिए लोग सुकून से घर लौटे और फिर किसी नए आयोजन की तैयारी में जुट गए क्योंकि कल इतवार है और सोमवार को बापू की मेहरबानी से एक और छुट्टी।

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