व्यंग्य: गो मूत्र से वोट कहते हैं
आवश्यकता आविष्कार की जननी है और भारत आविष्कारों (पढ़िये चमत्कारों) का देश है। आविष्कार (चमत्कार) भी ऐसे-ऐसे कि अमेरिका-जापान जैसे 'आविष्कार केंद्रित' देश और नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक भी दांतों तले अंगुली दबा लें। हमें स्कूल के दिनों से रटाया जाता है कि शून्य का आविष्कार भारत ने ही किया था। इस खोज का कितना लाभ हम उठा पाए यह तो वैदिक, ज्योतिष एवं कर्मकांडों को स्कूल-कालेजों में अनिवार्य विषय बनवाने वाले 'शिक्षा शंकराचार्य' जाने, पर इस शून्य को एक से लेकर नौ अंकों के साथ मनचाही बार प्रयुक्त कर 'रिश्वत' का आविष्कार जरूर हमने कर दिखाया है क्योंकि 'रिश्वत हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, इसे हम लेकर रहेंगे' की तर्ज पर 'रिश्वोत्री' (रिश्वत की गंगोत्री) को पूरे देश में समान गति से बहते देखकर इस आविष्कार की सार्थकता एवं कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है जैसी 'राष्ट्रीय भावनाओं का प्रकटीकरण' होता है। 'राष्ट्रीय भावनाओं का प्रकटीकरण' वाक्य का इस्तेमाल करने के लिए मैं हमारे हिन्दू मठाधीशों से माफी मांगता हूं। दरअसल इसका तो उन्हें पेटेंट करा...