न्यूजरूम परिवार के नाम एक पाती

मेरे न्यूजरूम परिवार के सभी प्रिय सदस्यों, सभी को नमस्कार मजरूह सुल्तानपुरी मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया आज मेरे लिए एक ऐसा क्षण है, जो मन में मिश्रित भावनाओं का तूफान लिए हुए है—खुशी, गर्व, और कहीं न कहीं एक हल्की-सी उदासी। सात साल पहले जब मैंने इस दफ्तर में कदम रखा था, तब यह स्थान मेरे लिए सिर्फ एक कार्यस्थल था। लेकिन आप सभी ने इसे मेरे लिए एक घर बना दिया, एक ऐसा परिवार जहाँ हर दिन नई सीख, हँसी, और अपनत्व का एहसास हुआ। आज, जब मैं ट्रांसफर के साथ एक नए सफर की ओर बढ़ रहा हूँ, तो यह विदाई मेरे लिए उतनी ही मुश्किल है, जितनी किसी अपने को अलविदा कहना। इन सात सालों में हमने मिलकर अनगिनत चुनौतियों का सामना किया। चाहे वो डेडलाइन का दबाव हो, प्रोजेक्ट्स की जटिलताएँ हों, या फिर नई योजनाओं को आकार देना हो—आप सभी का साथ मेरे लिए एक ढाल की तरह रहा। कॉफी ब्रेक में की गई हल्की-फुल्की बातें, लंच टाइम की वो छोटी-छोटी कहानियाँ, और उत्सवों में एक साथ नाचना-गाना—ये वो पल हैं जो मेरे दिल में हमेशा जिंदा रहेंगे। आप में से हर एक ने मुझे कुछ न कुछ सिखाय...