मीठे राजमार्ग के माथे पर क्यों लगी हैं लाल बिंदी…!!


इन दिनों यदि आप ‘मीठे राजमार्ग’ से गुजर रहे होंगे तो आपको ताजे गुड़ की मदहोश करने वाली मिठास के साथ सड़क पर कुछ अनूठा..कुछ अलग भी नजर आएगा। ऐसा लगता है जैसे किसी ने राजमार्ग के माथे पर सुंदर सी लाल बिंदी लगा दी है। यह अनूठापन आकर्षक भी है और आपकी सुरक्षा का पहरेदार भी। मीठे राजमार्ग के बारे में और विस्तार से जानना हो तो आप इस लिंक के जरिए पढ़ सकते हैं।

मीठा राजमार्ग: जहां बन रहे मदहोश करने…

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बहरहाल, अभी बात मीठे राजमार्ग के अनूठेपन की। दरअसल भोपाल से जबलपुर तक बिना किसी रुकावट के जाने के लिए बनाया गया नेशनल हाइवे क्रमांक 45 इन दिनों अपने रेड कार्पेट के कारण देश भर में चर्चा में है। ये टेबिल टॉप शैली में बने रेड कार्पेट पूरी सड़क की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं। ये ऐसे लगते हैं जैसे महिलाएं माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी लगाती हैं। जैसे बिंदी सुहाग की सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है,इसी तरह यह रेड कार्पेट भी वाहन चालकों की सुरक्षा का प्रतीक है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एन एच ए आई) ने देश में संभवतः पहली बार यह अनूठा प्रयोग करते हुए नरसिंहपुर-जबलपुर के बीच पड़ने वाली सड़क पर 5 मिलीमीटर की मोटी लाल रंग की परत बिछाई गई है, इसे तकनीकी भाषा में टेबल टॉप मार्किंग नाम दिया गया है। इस लाल मोटी परत के ऊपर से गुजरते समय अंधाधुंध रफ्तार से चले आ रहे वाहन चालकों को हल्के झटके महसूस होते हैं जिससे वे सतर्क होकर अपनी स्पीड कम कर लेते हैं। वैसे भी, लाल रंग खतरे का प्रतीक है इसलिए दूर से ही इसे देखकर वाहन चालकों की रफ्तार मनोवैज्ञानिक तौर कम हो ही जाती है।

इसके अलावा, राजमार्ग पर रात में नींद या झपकी लग जाने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भी यहां सड़क के दोनों किनारों पर 5 मिलीमीटर मोटी सफेद पैवर शोल्डर लाइन भी बनाई  है। इसका फायदा यह है कि यदि ड्राइवर को एकाएक नींद आ जाती है और कार लहराकर सड़क के किनारे की ओर बढ़ने लगती है तो इस मोटी लाइन से टकराकर कार को झटके लगेंगे और वाहन चालक तत्काल सतर्क हो जाएगा जिससे दुर्घटना और जानमाल की क्षति भी कम होगी।

दरअसल, राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 45 का यह हिस्सा वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से गुजरता है। रात के समय  वन्य जीवों का सड़क पर आ जाना सामान्य बात है। इस रेड कार्पेट से वाहनों की रफ्तार तो कम हो ही जाएगी, साथ ही सड़क के बीचों बीच लाल निशान देखकर वे सतर्क भी हो जाएंगे। इसके फलस्वरूप वन्य प्राणियों की मौत और वाहनों की दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। फिलहाल यह प्रयोग करीब दो किलोमीटर के इलाके में किया गया है। इस अभिनव प्रयास की सफलता का अध्ययन कर इसका भविष्य में और विस्तार किया जाएगा।

इस परियोजना की सबसे अहम खासियत यह है कि इसमें पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। इसमें 25 अंडरपास बनाए गए हैं ताकि अभ्यारण्य से गुजरने वाले वन्य जीव दिन या रात में कभी भी आसानी से आवाजाही कर सकें । यह राजमार्ग करीब 122 करोड़ रुपए में बनकर तैयार हुआ है। राजमार्ग के चौड़ीकरण की इस परियोजना में पहले से मौजूद डबल लेन को अब 4 लेन में बदला गया है। रेड कार्पेट, व्हाइट मार्किंग और अंडरपास सहित इन सभी प्रयासों का उद्देश्य जनहानि, दुर्घटनाओं को रोकना तथा वन्य प्राणियों की सुरक्षित आवाजाही सुरक्षित करना है और सबसे अहम बात यह है कि किसी भी प्रकार के ब्लैक स्पॉट की तत्काल पहचान कर उसे सभी के लिए सुरक्षित बनाना है।





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