शिमलु, सैमला, शुमला और रोमला से कैसे बना शिमला
इसी तरह, फिल्म अभिनेता अनुपम खेर, बलराज साहनी, प्राण, प्रिटी जिंटा, उस्ताद विलायत खां, राजिंदर कृष्ण और के एल सहगल में फिल्म के अलावा क्या कॉमन कनेक्शन है?
चलिए, एक और पहेली.. गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर, अमृता शेरगिल, निर्मल वर्मा, रुडयार्ड किपलिंग और रस्किन बांड में लेखन के अलावा और क्या कॉमन है?
नहीं पता..चलिए हम बताते हैं। इन सभी में शिमला कनेक्शन है। शिमला कनेक्शन मतलब या तो ये शिमला में पले बढ़े हैं या शिक्षित हुए हैं और यहीं से उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ है। शिमला शहर वर्षों से नामचीन हस्तियों की जन्मभूमि/कर्मभूमि रहा है। मसलन म्यांमार की दिग्गज नेता आंग सान सू की का शिमला से गहरा संबंध है क्योंकि उन्होंने 1987 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्ट्डीज में फेलोशिप के दौरान अपने पति और बच्चों के साथ शिमला में काफी समय बिताया था।
इसी तरह, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने तो शिमला के बालूगंज इलाके के बुड फील्ड हाउस में रहकर कई महत्वपूर्ण कविताएँ लिखीं, जो उनके 'सोनारतारी' संग्रह का हिस्सा बनीं और आज भी यह स्थान उनकी रचनात्मक यात्रा का गवाह है। अमृता शेरगिल का परिवार 1921 में हंगरी से भारत आकर शिमला के समर हिल में बस गया था। उन्होंने यहीं अपनी प्रारंभिक कला शिक्षा ली। अफगानी राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने 1980 के दशक की शुरुआत में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने शिमला को अपनी यादों और व्यक्तित्व निर्माण का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया है। पाकिस्तान के तानाशाह और पूर्व राष्ट्रपति जिया-उल-हक ने भी अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिमला के एक स्कूल में पूरी की थी। उनका परिवार विभाजन से पहले यहाँ रहता था इसलिए शिमला उनके बचपन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। जाने माने लेखक रस्किन बॉन्ड ने शिमला के मशहूर बिशप कॉटन स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी कई कहानियों में शिमला के औपनिवेशिक आकर्षण और पहाड़ियों का वर्णन किया। उद्योगपति रतन टाटा ने भी अपनी शुरुआती पढ़ाई बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से की थी। टाटा समूह का हिमाचल के ठियोग में ताज होटल भी है जो उनके इस शहर के प्रति योगदान को दर्शाता है।देश के फाइव स्टार जनरल बिपिन रावत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिमला के प्रतिष्ठित सेंट एडवर्ड स्कूल से पूरी की थी और वे 1972-73 बैच के छात्र थे। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर शिमला में तैनात रहे हैं । बाद में , जनरल रावत एक पूर्व छात्र के तौर पर स्कूल का दौरा करने भी आए थे। इसके अलावा, जाने माने अभिनेता अनुपम खेर का तो जन्म और पालन पोषण शिमला में ही हुआ है। उनके पिता वन विभाग में क्लर्क थे। उन्होंने शिमला के डीएवी स्कूल और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है। लोकप्रिय अभिनेत्री प्रिटी जिंटा का जन्म और बचपन शिमला में ही बीता है। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी और सेंट बेड्स कॉलेज से की है। वह खुद को 'गर्वित हिमाचली' बताती हैं। अभिनेता प्रेम चोपड़ा का बचपन और शुरुआती पढ़ाई-लिखाई भी शिमला में ही हुई थी। भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार लाहौर से शिमला आकर बस गया था। उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई और थिएटर भी यहीं किया और यहीं से उनके अभिनय करियर की नींव पड़ी। बाद में, वे मुंबई गए।
कांग्रेस पार्टी के संस्थापक ए ओ ह्यूम 1871-72 में शिमला आए और यहीं रोथनी कैसल नामक आवास में रहे। यहां उन्होंने अपना प्रसिद्ध प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय और लाइब्रेरी बनाई और यहीं पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का विचार प्रस्तुत किया था । जबकि राजकुमारी अमृत कौर शिमला की एक महत्वपूर्ण हस्ती थीं, जिन्होंने अपनी संपत्ति और यादों से इस शहर को हमेशा के लिए जोड़ दिया । इसी तरह महान सितार वादक उस्ताद विलायत खां का भी शिमला से गहरा रिश्ता था। वे यहाँ कई साल रहे और अपने बच्चों को भी यहीं शिक्षा दिलाई। इनके अलावा भी, सैकड़ों ऐसी हस्तियां हैं जिनकी यादों में शिमला महकता है। किसी को यह रचनात्मक सृजन के अनुकूल लगा तो किसी को कला को संवारने का मंच और किसी ने खुद को यहां के पर्वतीय सौंदर्य पर न्यौछावर कर दिया।जहां तक शिमला नगर के इतिहास की बात है तो आधिकारिक जानकारी के मुताबिक शिमला नगर 1815-16 ई. में गोरखा युद्ध के पश्चात् अस्तित्व में आया। बताया जाता है कि इस युद्ध में विजयी ब्रिटिश सरकार ने इस इलाके के कुछ भागों को सैनिक प्रयोग के लिये अपने अधिकार में रखा। तब तक यह एक अपरिचित सा ग्राम था और इसके कई नाम थे जैसे शिमलु, सैमला, शुमला और रोमला से यह नगर अपने प्राकृतिक सौंदर्य, ऊंचे ऊंचे पर्वतों, ठंडे मौसम और बर्फीली वादियों के कारण बिटिश भारत की गीष्म-कालीन राजधानी बन गया। कहा तो यह भी जाता है कि शिमला नगर का नाम श्यामला शब्द से बना है। हम सभी जानते हैं कि श्यामला देवी काली को कहते हैं। खास बात यह भी है कि मां काली के विविध रूप हिमाचल प्रदेश में सर्वाधिक पूजनीय है।
आप जानकार हैरान रह जाएंगे कि शिमला के पहले भवन का इतिहास भी यहां पन्नों में दर्ज है। यहां का पहला भवन कैनेडी हाऊस था जो 1822 में बनाया गया था। इसका नाम भी पर्वतीय रियासतों के राज्य अधिकारी चार्ल्स प्रैट कैनेडी के नाम पर पड़ा क्योंकि यह उनका आधिकारिक निवास स्थान था । 1827 में भारत के ब्रिटिश गवर्नर एमहर्स्ट शिमला आये और 1828 में कमांडर -इन-चीफ लार्ड कॉम्बर मीयर यहां तशरीफ लाये। बस इनके आगमन के पश्चात् शिमला नगर की ख्याति में वृद्धि होती चली गई। गवर्नर जनरल लार्ड बैन्टिक ने 1830 में शिमला के अहम स्थलों को पटियाला और कैन्थल राजाओं से वापस ले लिया । इन राजाओं को यह स्थान गोरखा युद्ध में सहायता करने के लिए इनाम के रूप में मिले थे।
शिमला का रुतबा और गौरव 1864 में बढ़ा जब वायसराय जॉन लॉरेंस के कार्यकाल में शिमला को ब्रिटिश राज्य की गीष्म-कालीन राजधानी घोषित किया गया। स्वाधीनता प्राप्ति तक शिमला की यह पदवी कायम रही। रोचक तथ्य तो यह है कि तत्कालीन सरकार उस समय इस छोटे से नगर में वास्तविक राजधानियों, पहले कोलकाता (तब कलकता) और बाद में दिल्ली की अपेक्षा अधिक समय बिताने लगी थी । इसके तहत अप्रैल के आरम्भ में सरकारी अमले का पहाड़ों की ओर प्रस्थान होता था और अक्तूबर की समाप्ति पर अथवा नवम्बर के शुरू में मैदानों की ओर वापसी होती थी। 1871 से गर्मियों में पंजाब सरकार भी लाहौर से यहां आने लगी थी ।
एक और मजेदार बात यह है कि शिमला सात पहाड़ियों पर बसा है। बाहर से आने वालों को यह एक शहर ही लगे लेकिन वास्तव में यह खूबसूरत हिल स्टेशन सात अलग-अलग पहाड़ियों पर बना है, जिनके नाम हैं इन्वरर्म हिल, बैंटनी हिल, एलिसियू ऑब्ज़र्वेटरी हिल्स, प्रॉस्पेक्ट हिल, समर हिल और जाखूहिल। जाखू हिल शिमला की सबसे ऊँची जगह है। ग्रीष्म-कालीन राजधानी होने के कारण अत्यधिक सुन्दर ब्रिटिश वास्तुकला के अनुरूप शिमला की सातों पहाड़ियों पर भव्य भवनों का निर्माण हुआ। 1851 में यहां म्यूनिसिपल शासन की व्यवस्था हुई। इस शहर की उपलब्धियों में यह बात भी दर्ज है कि दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र के बाद भी 1880 में यहां पाइप द्वारा पानी भेजा जाने लगा था और 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में पन- विद्युत उपलब्ध हो गई थी। अपने समय का इन्जीनियरिंग चमत्कार कालका-शिमला रेलवे लाइन का निर्माण 1903 में पूरा हुआ और 1922 में विश्व के प्रारम्भिक टेलीफोन एक्सचेंज की सुविधा भी शिमला के ही हिस्से में आई।स्वाधीनता संग्राम के प्रसिद्ध नेता मसलन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, मौलाना आजाद, पंडित मदन मोहन मालवीय और सी. राजगोपालाचारी नियमित रूप से यहाँ आते रहे हैं । हमारे जीवन एवं देश को प्रभावित करने वाले कई महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णय भी यहीं लिए गए। यहां तक की 1947 में भारत का विभाजन और पाकिस्तान का गठन यहीं से घोषित हुआ । स्वाधीनता के पश्चात् 3 जुलाई 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए गए । आजादी के बाद, 1947 से 1956 तक तकरीबन दस साल शिमला, पंजाब की राजधानी रही । 1966 में शिमला को हिमाचल प्रदेश को सौंप दिया गया, तब से क्वीन ऑफ हिल्स शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है।
मौजूदा वक्त की बात करें तो भारत के सबसे प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में से एक शिमला आज भी अपनी औपनिवेशिक विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन की चमक से जगमगाता शहर है। समुद्र तल से लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह शहर देवदार, ओक और पाइन के घने जंगलों से घिरा हुआ है। जब पूरा उत्तर भारत सर्दी की चपेट में रहता है, तब भी शिमला अपनी सुंदरता और व्यस्त पर्यटन सीजन के साथ एक अनोखा मिश्रण प्रस्तुत करता है।
शिमला हमेशा की तरह आज भी एक जीवंत शहर है। यहां लगभग 1.7 लाख की आबादी है। मॉल रोड और रिज क्षेत्र को शहर का दिल कह सकते हैं । यहां प्राचीन दुकानें, अंग्रेजों के समय के कैफे, चर्च और गैटी जैसे अनूठे थिएटर पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हालांकि, तेज विकास ने चुनौतियां भी पैदा की हैं। ओवर टूरिज्म से ट्रैफिक जाम यहां अब आम बात है और बुनियादी ढांचे पर भी लगातार दबाव बढ़ रहा है। अब दिसंबर में भी कई बार असामान्य रूप से रातें गर्म होने लगी हैं और न्यूनतम तापमान 12°C तक दर्ज किया गया है। चार साल से दिसंबर में बर्फबारी रुक सी गई है।जलवायु में यह परिवर्तन सेब उत्पादकों व पर्यटन पर गंभीर असर डाल रहा है।
कुल मिलाकर मानव सृजित समस्याओं के बाद भी, शिमला आज भी ब्रिटिश काल की रोमांटिक छवि और आधुनिक भारतीय शहर की व्यस्तता का सुंदर संतुलन बनाए हुए है। जलवायु परिवर्तन और सतत विकास की चुनौतियों के बावजूद, पहाड़ों की रानी शिमला अपनी आकर्षक मुस्कान से दुनिया को लुभाती आ रही है ।





टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें